Programming Language and Types in Hindi

Last Updated on September 30, 2020 by RAJENDRAPRASAD

Programming Language in Hindi – Hello दोस्तों rajhindime.in में आपका स्वागत है |

दोस्तों , आप सभी अपनी प्रतिदिन (in daily life) Computer अथवा Mobile का उपयोग करते ही हैं, जिसमें आप Whatsapp, Facebook, Instagram, Google Chrome जैसे अनेकों (multiple) Applications का उपयोग करते हैं |

जाहिर सी बात है, आपके मन में यह सवाल जरूर आया होगा कि, यह applications बनते कैसे हैं , इन्हें बनाता कौन है, computer अथवा mobile का उपयोग करना इतना सरल कैसे है, Google Chrome में कुछ  भी search करने पर आपको तुरंत result कैसे मिल जाता है | अगर आप सभी अपने इन सवालों के उत्तर जानना चाहते हैं, तो इस पोस्ट Programming Language in Hindi को पूरा पढ़िए | मैं निश्चिंत हूँ कि, आपके सारे सवालो के जवाब मिल जायेंगे |

सबसे पहले, शुरुआत करूँगा Computer से,

Computer क्या है | What is Computer in Hindi

Computer यह एक electronic machine है, जो उपयोगकर्ता (user) द्वारा input के रूप में दिए गए data को process करके, उससे आवश्यकता के अनुरूप output प्रदान करता है | यह बहुत ही कम समय में ढेर सारे calculations कर सकता है |

परंतु, सत्य यह है कि, कंप्यूटर (computer) खुद से कुछ भी नहीं कर सकता | हमें जो भी कार्य संपन्न कराना होता है , उसी के अनुरूप आप computer को निर्देश (instructions) प्रदान करते हैं | इन निर्देशों अर्थात set of instructions को ही Program कहते हैं और जो भी इस Program को लिखता है, उसे Programmer कहते हैं | यह सभी निर्देश (instructions), क्रमबद्ध तरीके से अर्थात sequence में लिखे होते हैं, जिन्हे कंप्यूटर प्रक्रिया (processing) के दौरान उपयोग करता है |

आमतौर पर यह programs, storage area में रखे जाते हैं, जहाँ से computer इन्हें उपयोग करता है | कंप्यूटर एक instruction लेता है, उसे process करता है और फिर अगला instruction लेता है | storage area में वे सभी data भी रखे होते है, जिन्हे computer, program execute करने के दौरान उपयोग करता है |

Programming Language क्या है | What is Programming Language in Hindi

जैसा कि, आपने जाना Computer द्वारा कार्य करने के लिए आपको Program की जरूरत पड़ती है | इसका मतलब यह है कि, आप Computer  को ऐसे निर्देशों का एक सेट(set of instruction) प्रदान करते हैं जो, एक ऐसी भाषा में लिखे जाते हैं, जिसे Computer  समझ सकता है | दिए गए निर्देश विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, दो अंको को जोड़ना , दशमलव में दिए गए अंक को पूर्णांक में बदलना इत्यादि |

जैसे हम इंसान कुछ भाषाओं (हिंदी, English, मराठी, French आदि) को समझ सकते हैं, ठीक उसी तरह Computer के मामले में भी है | Computer उन्ही निर्देश को समझते हैं जो, एक विशिष्ट वाक्यात्मक रूप में लिखा जाता है, इसे ही Programming Language  कहा जाता है |

इस तरह Programming Language, Programmer को एक ऐसा जरिया प्रदान करता है, जिसके द्वारा वह जरुरी कार्य को व्यक्त कर सके और Computer उसे समझ कर दिए गए कार्य को संपन्न (Execute) कर सके | Computer  इस Programming Language को Machine Language में परिवर्तित (convert ) करके आपके द्वारा दिए गए कार्य को संपन्न (execute) करता है |

आज के समय में आपको बहुत सारे Programming Language देखने को मिल जाएंगे जैसे C , C++, JAVA, Python इत्यादि |

आइए जानें की Programming Languages कितने प्रकार के होते हैं |

प्रोग्रामिंग भाषा के प्रकार हिंदी में – Types of Programming Languages in Hindi

मुख्यतः Programming Languages को दो प्रमुख श्रेणियों (major categories) में वर्गीकृत (classified) किया गया है |

1. Low-Level Languages 2. High-level Languages

Low-Level Language क्या है ?

ऐसा Language, जो Computer में उपस्थित केवल primitive operations का उपयोग करता है, उसे Low Level Language कहते हैं | इस Language को Computer में उपस्थित memory और registers का प्रयोग करके लिखा जाता है|

जैसा कि आप जानते है कि, कंप्यूटर की संरचना (architecture of computer ) एक machine से दूसरी machine में भिन्न होती है, इसलिए प्रत्येक प्रकार के Computer के लिए एक अलग Programming Language होती है| दूसरे शब्दों में कहें तो, एक Computer के लिए Low Level Language में लिखा गया Program, किसी दूसरे machine अथवा Computer (जिसकी संरचना भिन्न हो) में उपयोग नहीं की जा सकता |

Low Level Programming Language को दो भागो में विभक्त किया गया है |

1. Machine Language 2. Assembly Language

Machine Language:

Machine Language यह Binary Digits (0 या 1) का समूह होता है, जिसे Computer पढ़ता है और अनुवाद (interpret) करता है | Computer केवल इसी Language को समझता है | वास्तव में Manufacturer, Computer को एक ही भाषा समझने के लिए design करता है, और वह है, machine code, जिसे Binary Digits (bits) 0 और 1 के रूप में Computer के अंदर दर्शाया गया है |

यहाँ 1 का अर्थ है बिजली की supply हो रही है तथा 0 का अर्थ है बिजली की supply बंद है| उदहारण के लिए, electric switch में ON को 1 और OFF को 0 से दर्शाया जा सकता है |

चूँकि, Computer विद्युत संकेतों (electrical signal) को पहचानने में सक्षम है, इसलिए यह Machine Language को आसानी से समझता है। इस तरह यह program बिना किसी translation के सीधे – सीधे executable  होते है , जिससे program का execution तेजी से होता है | Machine languages को first generation language भी कहा जाता है |

जहाँ Computer इसे आसानी से समझ लेता है, वहीं मनुष्य के लिए इसे उपयोग करना लगभग असंभव है, क्योकि Machine Language पूरी तरह अंकों (digits) का समूह (group) होता है, जैसे : 10111000101001

Assembly Language:

Assembly Language का विकास, Machine Language की कुछ असुविधाओं को दूर करने के लिए किया गया था | महत्त्वपूर्ण बात यह है कि, Assembly Language में 0 तथा 1 यह स्थान पर alphanumeric symbols का उपयोग किया गया था, जिसे निमोनिक्स(Mnemonics) भी कहते हैं |

इस language में Keywords और Symbols का प्रयोग किया जाता है, जो लगभग English Language जैसा ही होता है | यह अधिकतम पांच अक्षरों का समूह (maximum of five-letter combination) होता है |

उदहारण के लिए, ADD जोड़ के लिए, SUB घटाना के लिए, START , LABEL इत्यादि | इसी विशेषता के कारण Assembly Language को “Symbolic Programming Language” भी कहा जाता है | परन्तु, इसकी सबसे बड़ी Problem यह है कि, Computer इसे भी नहीं समझता | इसलिए इसे Machine Language में बदलने की आवश्यकता होती है, जिसे Computer समझता है |

Assembly Language को Machine Language में, जिस program का उपयोग करके बदला जाता है, उसे असेम्बलर (Assembler) कहते हैं | Assembly language को second generation language भी कहा जाता है |

High Level Languages:

High Level Language रोजमर्रा की बोली जाने वाली भाषा के समान निर्देशों (instructions) का उपयोग करके Computer Code लिखने की अनुमति देती हैं जैसे, Print, If , While इत्यादि |

यह languages, programmer को english word तथा परिचित गणितीय प्रतीकों (mathematical symbols) का उपयोग करके instructions लिखने में सक्षम (enable) बनाती है | यह program को और अधिक पढ़ने योग्य (readable) बनाता है | ये सभी languages, third generation languages कहे जाते हैं और ये सभी procedure- oriented language होते हैं |

यहाँ procedure का मतलब हैं reusable code, जो कहीं पर भी program में call किए जा सकते हैं | प्रत्येक procedure को एक नाम दिया जाता है और उसे वो सारे set of instructions दिए जाते हैं, जिस कार्य को execute करने के लिए उन्हें बनाया जाता है | procedure को उसके name से तथा list of required parameter के साथ call किया जाता है, जो procedure को pass करने होते हैं |

इस Language की सबसे बड़ी खूबी यह है कि, यह platform independent होता है अर्थात जो program, High Level Programming Language का उपयोग करके बनाया जाता है, वह किसी अन्य computer पर भी run किया जा सकता है |

High Level Language को Execute करने से पहले इसे Machine Language में बदलना पड़ता है | कुछ Programming Language, Compiler का उपयोग तथा कुछ Programming Language, Interpreter का उपयोग करके High Level Language को Machine Language में बदलते हैं |

High Level Programming Language को विभिन्न भागो में विभक्त किया गया है | आइए, कुछ महत्त्वपूर्ण भागो के बारे में जानें |

Types of High Level Programming Language – हिंदी में |

1. Procedural Programming Language:

Procedural Programming Language का उपयोग set of instructions को execute करने के लिए किया जाता है, जिससे आपको result मिलता है | आम तौर पर, इस तरह के Programming Language बहुत सारे variables, heavy loops और बहुत सारे अन्य elements का उपयोग करते हैं, जो इन्हे Functional Programming Language से अलग करते हैं | Procedural Programming Language के functions, function के value returns के अलावा variables को भी control करते हैं , उदहारण के लिए, किसी जानकारी को छापना (printing out information).

2. Functional Programming Language:

Functional Programming यह ऐसी सोच है, जहाँ software का निर्माण pure functions का निर्माण (create) करके किया जाता है | यह concept of shared data, mutable data को avoid करता है, जो object oriented programming में प्रयोग किये जाते हैं |

यह विशेषकर symbolic computation को handle करने के लिए designed किया गया है | यह mathematical functions पर आधारित है | यह language “हम कैसे कर रहे हैं” कि बजाय इस बात पर ज्यादा focus करता है कि, “हम क्या कर रहे हैं ” |

Lips, Python, Erlang, Haskell, Clojure, JavaScript इत्यादि कुछ प्रसिद्ध Functional Programming Languages हैं |

क्या आप जानते हैं, Whatsapp को 90 करोड़ users को handle करने के लिए केवल 50 engineers की जरुरत पड़ती है, क्योकि यह Erlang का उपयोग करता है, अपनी application की मुख्य जरूरतों को पूरा करने के लिए |

इसी तरह Fecebook भी, अपने Anti-spam System में Haskell का उपयोग करता है|

3. Object-oriented Programming Languages:

Object-oriented Programming, यह सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले Languages में से एक है | नाम से ही यह Object-oriented है, यहाँ Object बहुत ही महत्वपूर्ण (important) भूमिका अदा (role play) करता है |

Objects को manipulate करके, उससे result प्राप्त करना ही इसका मुख्य उद्देश्य (ultimate goal) है |

यहाँ Objects एक- दूसरे को messages पास करते हैं, प्रत्येक object प्राप्त message के अनुसार ही decide करता है कि, उसे क्या करना है | Object-oriented Programming, हर Object के states और behavior पर focus करता है |

Object क्या है |

Object यह एक इकाई (entity) है, जिसका अपना states और behavior होता है | आइए, उदहारण द्वारा समझें |

Dog, Cat और वाहन (Vehicle) ये सभी object हैं | हर dog का अपना age, colour, name होता हैं, इसे ही states कहते हैं तथा अपना व्यवहार होता हैं जैसे खाना, सोना, दौड़ना इत्यादि, इसे ही behavior कहते हैं |

कम शब्दों में कहूँ तो, states यह बताता है कि object कैसे दिखता है अथवा उसकी क्या विशेषताएँ हैं तथा behavior यह बताता है कि object क्या करता है |

Object-oriented Programming के चार महत्त्वपूर्ण सिद्धांत (principles) हैं |

  1. Encapsulation
  2. Inheritance
  3. Abstraction
  4. Polymorphism

4. Scripting Programming Languages:

Scripting Programming Languages अक्सर Procedural होते हैं तथा Object-oriented भी हो सकते हैं, लेकिन इनकी अपनी एक अलग ही श्रेणी (Category) है | यह Language, Applications में new functions का निर्माण करता है तथा जटिल (complex) system को एक दूसरे से जोड़ने का कार्य करता है |

मूलरूप से, Scripting Language एक ऐसा Language है, जहाँ निर्देश (instructions) run time environment में लिखे जाते हैं | इस भाषा को न तो compilation step की जरुरत होती है और न ही interpreter की | उदहारण के लिए, सामान्य रूप से C program को run करने से पहले उसे compile करना पड़ता है, जब कि सामान्य रूप से JavaScript, PHP, Python, VBScript जैसे Scripting Language को compile नहीं करना पड़ता |

आमतौर पर, compiled program, interpreted program की तुलना में तेजी से run होते हैं, क्योकि ये सीधे सीधे machine language में convert हो जाते हैं | इसका कारण यह है कि, compiler दिए हुए code statements को एक ही बार में read तथा analyze कर लेता है और प्राप्त errors का collectively report देता है, जबकि interpreter हर बार code statements को read और analyze करता है, और जैसे ही उसे कोई error मिलता है वहीँ रुक जाता है |

एक महत्त्वपूर्ण बात, जब भी किसी language को Scripting Language के रूप में classify करें तो, इस बात का ध्यान जरूर रखें कि वह किस environment में execute अथवा run होगा | इसका कारण यह है कि, आप C language के लिए interpreter design करके उसे scripting language के जैसे run कर सकते हैं, ठीक उसी तरह आप JavaScript के लिए compiler design करके उसे non-scripting (Compiled language) के जैसे run कर सकते है |

उदाहरण के लिए, V8 , जो कि Google Chrome का JavaScript engine है, जो JavaScript को interpret करने कि अपेक्षा उसे compile करके machine code में convert करता है, जिसका परिणाम यह है कि , Google Chrome बहुत ही तेजी से कार्य करता है |

Conclusion – आज आपने क्या सीखा

इस post में आपने Computer , Program, Programmer, Programming Languages तथा उसके types के बारे में जानकारी प्राप्त की | आशा है कि, आपको मेरा यह Blog Programming Language in Hindi जरूर पसंद आया होगा |

अगर आप इस post, Programming Language in Hindi से related कोई सवाल पूँछना चाहते हैं अथवा कोई सुझाव देना चाहते हैं तो comment करके जरूर बताएँ, मैं उसका reply जरूर दूँगा |

इस post को अपना कीमती समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद् | फिर मिलेंगें |

8 thoughts on “Programming Language and Types in Hindi”

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